जन्म | २ अक्तूबर |
स्थान | पोरबंदर, काठियावाड़, भारत |
मृत्यु | ३० जनवरी १९४८ (७८ वर्ष की आयु में) |
स्थान | नई दिल्ली, भारत |
मृत्यु का कारण | ह्त्या |
शिक्षा | युनिवर्सिटी कॉलिज, लंदन |
प्रसिद्धि कारण | भारतीय स्वतंत्रता संग्राम |
राजनैतिक पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
जीवनसाथी | कस्तूरबा गाँधी |
बच्चे | हरिलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास |
मोहनदास करमचंद गांधी (अक्तूबर" class="mw-redirect">2 अक्तूबर 1869 - जनवरी" class="mw-redirect">30 जनवरी 1948) भारत">भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता संग्राम" class="mw-redirect">भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे।वह सत्याग्रह">सत्याग्रह - व्यापक सविनय अवज्ञा">सविनय अवज्ञा के माध्यम से अत्याचार (पृष्ठ मौजूद नहीं है)">अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की नींव [ अहिंसा] अथवा संपूर्ण अहिंसा">अहिंसा पर रखी गई थी जिसने भारत को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम" class="mw-redirect">आजादी दिलाकर पूरी दुनिया में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतंत्रता के प्रति आंदोलन के लिए प्रेरित किया।उन्हें दुनिया में आम जनता महात्मा गांधी के नाम से जानती है। संस्कृत भाषा">संस्कृत: महात्मा">महात्मा अथवा महान आत्मा एक सम्मान (पृष्ठ मौजूद नहीं है)">सम्मान सूचक शब्द जिसे सबसे पहले रवीन्द्रनाथ ठाकुर">रवीन्द्रनाथ टेगौर ने प्रयोग किया और भारत में उन्हें बापू के नाम से भी याद किया जाता है गुजराती भाषा">गुजराती બાપુ बापू अथवा (पिता)उन्हें सरकारी तौर पर 'राष्ट्रपिता. (पृष्ठ मौजूद नहीं है)">राष्ट्रपिता 'का सम्मान दिया गया है २ अक्टूबर" class="mw-redirect">२ अक्टूबर को उनके जन्म दिन भारत में छुट्टियाँ (पृष्ठ मौजूद नहीं है)">राष्ट्रीय पर्व'गांधी जयंती">गांधी जयंती' के नाम से मनाया जाता है और दुनियाभर में इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस (पृष्ठ मौजूद नहीं है)">अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाया जाता है।
सबसे पहले गांधी ने रोजगार अहिंसक सविनय अवज्ञा">सविनय अवज्ञा प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ़्रीका">दक्षिण अफ्रीका, में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष हेतु प्रयुक्त किया। १९१५ में उनकी वापसी के बाद उन्होंने भारत में किसानों , कृषि मजदूरों और शहरी श्रमिकों को अत्याधिक भूमि कर और भेदभाव के विरूद्ध आवाज उठाने के लिए एकजुट किया। १९२१ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस">भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभालने के बाद गांधी जी ने देशभर में गरीबी से राहत दिलाने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार, धार्मिक एवं जातीय एकता का निर्माण, आत्म-निर्भरता के लिए दलित">अस्पृश्यता का अंत आदि के लिए बहुत से आंदोलन चलाएं। किंतु इन सबसे अधिक विदेशी राज से मुक्ति दिलाने वाले स्वराज">स्वराज की प्राप्ति उनका प्रमुख लक्ष्य था।गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाए गए नमक कर के विरोध में १९३० में [नमक सत्याग्रह|दांडी मार्च ]] और इसके बाद १९४२ में , ब्रिटिश भारत छोड़ो (पृष्ठ मौजूद नहीं है)">भारत छोड़ो छेडकर भारतीयों का नेतृत्व कर प्रसिद्धि प्राप्त की। दक्षिण अफ्रीका और भारत में विभिन्न अवसरों पर कई वर्षों तक उन्हें जेल में रहना पड़ा।
गांधी जी ने सभी परिस्थितियों में अहिंसा">अहिंसा और सत्य">सत्य का पालन किया और सभी को इनका पालन करने के लिए वकालत भी की। उन्होंने साबरमती आश्रम">आत्म-निर्भरता वाले आवासीय समुदाय में अपना जीवन गुजारा किया और पंरपरागत भारतीय 'धोती">पोशाक धोती और सूत से बनी शॉल पहनी जिसे उसने स्वयं ने 'चर्खा (पृष्ठ मौजूद नहीं है)">चरखे ' पर सूत कात कर हाथ से बनाया था। उन्होंने सादा शाकाहार">शाकाहारी भोजन खाया और आत्मशुद्धि तथा सामाजिक प्रतिकार दोनों के लिए लंबे-लंबे उपवास">उपवास भी किए।
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